हिंदी माता की आराधना
हे हिंदी माता !
हम तेरा गुणगान करें ।
तेरे चरणों में ,
बारंबार नमन करें ।
तेरी हम पर सदा कृपा रहे,
यह सदा वरदान मांगे।
तुझसे रचना शीलता का,
अपार दान मांगे ।
कृपा रहे इतनी माता !
हमारी जिह्वा तुझे पुकारे।
हर धर्म ग्रंथों ,पुराणों ,
साहित्य पुस्तकों में तेरा रूप निहारे ।
साहित्य तो क्या ,
कला ,वाणिज्य ,विज्ञान आदि में ,
तेरा ही वर्चस्व छाया रहे ।
भारत तो क्या सारे विश्व में ,
तेरे नाम का डंका बजता रहे ।
भारत के हर नागरिक के मुख से ,
तू ही गंगा सी बहती रहे ।
धर्म ,भाषा ,क्षेत्र ,इत्यादि का भेद मिटाकर,
स्वतंत्र रूप से तू बहती रहे ।
ह्रदय के मनोभावों को प्रकट करने की ,
क्षमता बस तुझी में है ।
जोड़े जो दिलों को एक दूजे से,
ऐसी कुशलता भी तुझी में है ।
कोई विदेशी भाषा क्या ,
अपनापन और स्नेह बढ़ा पाएगी ?
एक मात्र बस तू ही हे माता !
मनुष्यों को करीब ला पाएगी ।
हम कवि जन धन्य हुए ,
कृतार्थ हुए तेरी शरण में आकार ।
कंचन हुए हम तेरी पावन रसधारा में ,
आकंठ डुबकी लगाकर ।
ऐसी ही सदा हे हिंदी मां !
हम पर कृपा बरसाते रहना ।
इस जन्म तो क्या हर जन्म में,
हे देवनागरी ! हमारे जीवन को निहाल करना।
देवों की वाणी तू!
स्वर्ग की है दिव्य देवी ।
वरदान दे हमें बने रहे तेरे ,
सदा सच्चे सेवी ।