हिंदी भाषा माला। अंक 2
गतांक से आगे…………………….
हिंदीभाषा माला अंक 2
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हे हिंदी तू उर में सजती,सुमन सुगन्धित माला है।
तुझसे ही यह भारत विकसित ,तैने इसे सँभाला है।
तेरे ही आँचल ने पाला ,तुझसे सब बहना भाई।
तेरे शब्दो से खेल खेल ,दुनियाँ में ताकत पाई।
तेरे रस छंद अलंकारों ,ने अपनी बोली चमकाई।
शब्द सहज और अर्थ असीम, जिससे आसानी आई।
भारत छोड़ विदेशों में भी , तैने किया उजाला है।
हे हिंदी तू उर में सजती ,सुमन सुगन्धित माला है।
जाने कब तेरा जन्म हुआ , यह तो कोई ज्ञात नही।
अलग अलग मत विद्द्वानो के ,कहते सब इक बात नहीं।
पर बसती आई है दिल मे ,अलग कोय जज़्बात नहीं।
कोई तुझ पर कितना बोले ,इसमें कोई निष्णात नही।
कितने लेखन कर्ताओं ने ,अपने दिल मे पाला है।
हे हिंदी तू उर में बसती ,सुमन सुगन्धित माला है।
क्रमशः…….
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कलम घिसाई
9414764891
सहायक धुन— चांदी की दीवार न थोड़ी प्यार भरा दिल ……