हिंदी दीवस पर.दोहे
आज हिन्दी दिवस है पर,नहीं हिन्दी में काम
अंग्रेजी सर्वोपरि है, हिन्दी को है विश्राम
हिन्दी मातृ भाषा है , भारतीय की शान
राज काम अंग्रेजी मे ,हिन्दी का बस है नाम
पिता जी को डैड कहें ,माता जी हैं मोम
पत्नी बन गई डार्लिंग, देख कैसे हिन्दी मौन
हिन्दी दीवस संध्या पर, कोटि कोटि प्रणाम
अंग्रेजी का त्याग कर, करें हिन्दी सब काम
हिन्दी रहीम कबीर की , सूरदास रसखान
छायावादी चार कवि , हिन्दी गौरव मान
भारत का राष्ट्र सम्मान है,भारतीय पहचान
दैनिक इस्तेमाल कर, बढे हिन्दी शान मान
हिन्दी मातृ भाषा है, दिल का है मनभाव
जन जन की आवाज है, जन का है स्वभाव
रस छंद अलंकृत हैं , अनुभूति भाव शान
पद्य गद्य दो रूप हैं , व्याकरण है महान
एक भाषा एक देश पर,करो मन्थन विचार
यह स्वपन साकार हो , हिंदी दीवस सार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत