हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
नमस्कार मैं हिंदी हूं, मैं पूरब से आई हूं
प्रेम और शुभ संदेशों को, मैं भारत से लाई हूं
मेरे देश में बोली जातीं, कई बोली भाषाएं
प्रेम और विश्वास जगातीं, मानवता की आशाएं
ज्ञान का भंडार हैं सब, रचना है वेद पुराणों की
कथा साहित्य की जननी हैं, ज्ञान और विज्ञानों की
हर बोली भाषा अंचल को, प्रीत हृदय से करती हूं
मानवता के लिए समर्पित, गीत प्रेम के रचती हूं
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, दसों दिशा महकाती हूं
प्रेम भरे गीतों छंदों में, सबका अभिनंदन गाती हूं
सीखती हूं हर बोली भाषा, सम्मान सभी का करती हूं
ज्ञान और विज्ञान कोष, मैं सहज समर्पित करती हूं
मानवीय उत्कृष्ट संस्कृति, मेरे भारत की धरती है
सारी दुनिया है परिवार, मेरे आंचल में बसती है
धर्म आध्यात्म के गूढ़ विषय, साहित्य में मेरे बसते हैं
सत्य प्रेम और करुणा के, सुमन सदा ही खिलते हैं
मुझे नहीं है वैर किसी से, सबसे मुझे लगाव है
निर्मल बहती हूं गंगा सी, यही मेरा स्वभाव है
मानवता के लिए सभी, प्रेम से मिलकर बात करें
दूर करें अज्ञान अंधेरा, जन जीवन में प्रेम भरें
जाती पाती भाषा धर्म भेद, धरती से हमें मिटाना है
प्रेम और सद्भाव बड़े, दुनिया नई बनाना है
हर बोली भाषा के, ज्ञान को हम स्वीकार करें
हिंसा और अज्ञान अंधेरा, डटकर सब प्रतिकार करें
सुरेश कुमार चतुर्वेदी