हिंदी घनाक्षरी
हिन्दी (घनाक्षरी)
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सागर की सीमा जैसा,
हिन्दी भाषा का विस्तार।
भू से अंबर तक हो,
हिन्दी का संज्ञान जी।
हीरे सी चमके सदा,
हिन्दी भाषा का स्वभाव।
हर क्षण करे सदा,
उपलब्धि पावती।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)