हिंदी केवल भाषा ही नही , देश की विरासत है – आनंदश्री
हिंदी केवल भाषा ही नही , देश की विरासत है – आनंदश्री
– हिंदी का प्रचलन बढ़ाने के तीन ” वी ”
महात्मा गांधी कहा करते थे – ” राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।” देश भ्रमण के दौरान गांधी जी इस बात को समझ गए थे कि केवल हिंदी से ही देश को जोड़ा जा सकता है। जबकि उनकी मातृभाषा गुजराती थी।लेकिन फिर भी हिंदी भाषा के समर्थन और प्रचारक थे। स्वराज आंदोलन को उन्होंने हिंदी से जोड़ दिया था।
– हिंदी भारत की विरासत है
हिंदी आज कल की भाषा नही है इसका इतिहास 1000 वर्ष पुराना है। बदलते बदलते आज कल बोली जाने वाली भाषा मे कई बदलाव आए है। हिंदी हमारी विरासत है। स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर 1949 में इसे राजभाषा का दर्जा दे दिया गया। तब से हिंदी के साथ साथ भारत भी फलता फूलता गया।
– देशी भाषा से ही विकास की संभावना है।
स्वतंत्रता के समय यह बोला गया था कि देश में विकास विदेशी से नही बल्कि देश की भाषा से ही होगा। इस पर कई चर्चा के दौरान आखिर हिंदी को सर्वाधिक बोली, बोली जाने वाली भाषा के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
– आज की तारीख में हिंदी
भारतीय हिंदी सिनेमा, साहित्य और आज इंटरनेट का हिंदी के तेज विकास के लिए बहुत ही बड़ा योगदान रहा है। गूगल, विकिपीडिया तथा अन्य हिंदी साईट पर उपलब्ध सामग्री। काफ़ी तो नही है लेकिन इनकी सेवा को अनदेखा नही किया जा सकता है ।
– हिंदी का प्रचलन बढ़ाने के तीन ” वी ”
1- विचारो में हिंदी हो। यह जड़ है। हिंदी में सोचे। हिंदी में विचार करें। विचारो से संभव है। विचारो की ऊर्जा को हिंदी से भर दे।
2- व्यवहार में हिंदी हो
जबतक विचार नही आएगा तबतक व्यवहार नही होगा। जितना हो सके, जंहा हो सके व्यवहार में हिंदी लाये। व्यवहार से प्रचलन बढेगा। अब तो भारत मे उपयोग किये जाने वाले अधिकतर एप्स हिंदी में भी उपलब्ध है। उसका हो सके उतना व्यवहारिक उपयोग करे।
3- विज्ञान में हिंदी
हिंदी कला को विज्ञान के साथ जोड़े। विज्ञान के अधिकाधिक थेसिस, पेपर, जर्नल को हिंदी में प्रकाशित किये जायें।
बैंक में एटीएम का इस्तेमाल में हिंदी भाषा चुने, फ़ोन में भी हिंदी के प्रयोग करें।
– रचनात्मक कार्यो में हिंदी
आज कल युवाओं में टी शर्ट का चलन बढ़ रहा है, उसमे में कई मैसेज दिए जा सकते है, ग्रीटिंग कार्ड , शुभ संदेश, आज का विचार पोस्टर आदि में हिंदी का बढ़ चढ़ कर प्रयोग किया जा सकता है।
देश के किसी ऐतिहासिक इमारत को जिस तरह से संजो के रखा जाता है वैसे ही हिन्दी को संजो के रखा जाए।
– याद रखे जो प्रयोग में नही आता वह गायब हो जाता है।
विज्ञान कहता है कि मनुष्य की पहले पूंछ हुआ करती थी। लेकिन उसका हमारे लिए कोई भी उपयोग नही था। धीरे धीरे वह गायब हो गयी। हिंदी भारत की सिर्फ भाषा नही बल्कि यह विरासत है। जिसका पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण होते रहना है। इसका बोलचाल में प्रयोग करे।
– आनंदश्री
अध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु
मुम्बई
8007179747