हिंदी कुएं के मेढक
सब नकाब चढ़ाए बैठे हैं,
आस्तीनों में खंजर छिपाए बैठे है,
बात करेंगे हिंदी भाषा की
सब जयचंद बने बैठे हैं..
साल का एक दिन आता है
बकबक करने में क्या जाता है,
टर्राते है सब मेढ़क बनकर
हिंदी को सिरमौर बताने में क्या जाता है..
कोई कहता जान है हिंदी
कोई कहता अभिमान है हिंदी
कोई हिंदी राष्ट्र बता इठलाता है
जीभ हिलाने में नेता का क्या जाता है..
सब अंग्रेजी में खाते है
सब अंग्रेजी में गाते हैं
सब अंग्रेजी में सोते हैं
सब अंग्रेजी में बच्चा पैदा कर लाते हैं..
परिचय सबका अंग्रेजी
ज्ञान-बखान-प्रोत्साहन सब अंग्रेजी
हस्ताक्षर सबका अंग्रेजी
हिंदी को भूलने में अब क्या घाटा है..
प्रारम्भिक शिक्षा अंग्रेजी
डिग्री कॉलेज सब अंग्रेजी
प्रतियोगिता-साक्षातकार अंग्रेजी
अंग्रेजी से ही जीवन मे पेट भरा जा सकता है..
स्कूल अंग्रेजी, बच्चा अंग्रेजी
बीबी अंग्रेजी, मित्रता अंग्रेजी
अंग्रेजी से ही सम्मान जुटाया जा सकता है
सामाजिक औहदा अंग्रेजी नेम प्लेट से बढाया जाता है…
संविधान अंग्रेजी, विधान अंग्रेजी
शाशन-प्रशासन-सीमा का सैनिक अंग्रेजी
व्यापार-व्यवसाय अंग्रेजी
हिंदी कहाँ है हिंदुस्तान को समझ नहीं है..
हिंदी गाँव की भाषा है
क्षेत्र आंचलों की भाषा है
अनपढ़ किसानों-मजदूरों की भाषा है
भारत मे हिंदी को ऐसे ही समझाया सिखाया जाता है..
सब नकाब चढ़ाए बैठे हैं
क्योंकि सब जयचंद के ही पोते है..
फिरंगियों ने अत्याचार किए
ब्लैक डॉग से नाम लिए
सपेरा, बंदर भालू देश बताया
फिर भी गुलामी की भाषा में ही बड़ा मजा आता है..
ना इनका कोई अभिमान है
ना इनका कोई स्वाभिमान है
थोथे चना बनकर भौकाल बनाते रहते हैं
अंग्रेजी के सामने दुम हिलाते रहते है..
हिंदी दिवस पर अंग्रेजी इश्तहार छपाते है
स्टेज पर खड़े होकर मुसकाते है
अंग्रेजी में हिंदी दिवस का भाषण गाते है
इसी से भारतीयों की औकात को समझा जा सकता है…
सब नकाब चढ़ाए बैठे हैं
क्योकि सब काले अंग्रेज का रूप धरे रहते हैं…
प्रशांत सोलंकी
नई दिल्ली-07