हिंदी की गरिमा
मातृभाषा हिंदी है अति मनभावन ।
इसके इक इक वर्ण जगत में पावन ।।
रस छंद अलंकारों की शोभा न्यारी ।
लगती है सबको इसीलिये अति प्यारी ।।
अन्तर मन के सब भाव व्यक्त हो जाते ।
जो अन्य भाषा में न सम्भव हो पाते ।।
संगीत के स्वर में पगी अलौकिक भाषा ।
जनमानस के जीवन की है अभिलाषा ।।
साधना जगत की सभी सफल हो जाती ।
अध्यात्म मोक्ष तक की यह गाथा गाती ।।
सौभाग्यशाली हैं जो हिंदी आराधक ।
प्रिय मातृ भाषा के जो हैं सेवक साधक ।।
कानों में मीठा स्वर घुल घुल जाता है ।
जब कोई इसमें गीत सुरीले गाता है ।।
हिन्दी पूजित सर्वत्र माथे का चंदन है ।
जीवन भर इसका शत शत अभिनंदन है ।।