हिंदी का अपमान
अंग्रेजी पर करते हम गुमान बहुत।
हिंदी का करते हम अपमान बहुत।
न जाने हमने ऐसा क्यों किया?
हिंदी से हमने क्यो मुंह मोड़ लिया।
न जाने कितने लोगों ने
हिंदी का परचम लहराया है।
न जाने कितने लोगों ने
हिंदी से नाम कमाया है।
पर फिर भी न जाने क्यों हमने
हिंदी का नाम डूबा दिया।
पर फिर भी न जाने क्यों हमने
हिंदी को यूं दबा दिया।
कखग के बदले चला दी हमने एबीसीडी।
मंजिल पर पहुंच कर भूल गए हम पहली सीढ़ी।
अंग्रेजी ने हम पर ऐसा वार किया।
कि हमने हिंदी को नकार दिया।
हिंदी की गिनती हम सब भूल गए
पर वन टू थ्री हम सब झूम गए।
अंग्रेजी के मै खिलाफ नही
पर हिंदी अब मेरे साथ नही।
– श्रीयांश गुप्ता