हिंदी अपनी पहचान रहे
सूट बूट टाई बेल्ट लगा, गिट पिट गिट पिट बोलने वाले।
क्या जाने पगड़ी की मर्यादा, सबको धन से तोलने वाले।।
सब भाषा थी एक समान पर, अंग्रेजी को दर्जा खास दिये।
नही प्रमाणपत्र पढ़े लिखों का, बस बना के हव्वा फांस लिये।।
जो बोल सका न अंग्रेजी, तो सब समझे उसको जाहिल है।
हिंदी के इस गहरे सागर को, क्या समझेगा जो काहिल है।।
हिंदी माँ के लाड़ प्यार से वंचित हो, दाई माँ के जो गोद पले।
बिन आँचल वाली इंग्लिश मॉम कि, थाम रुमाली पल्लू चले।।
निज भाषा उन्नति अहे का, यह मूल मंत्र अब मान भी लो।
औरों कि पढ़ी पढ़ाई सीख है, दासता की बेड़ी जान भी लो।।
हम सभी को चाहिए देखना कि, हर भाषा का सम्मान रहे।
पर निज भाषा का भी रहे गौरव, हिंदी अपनी पहचान रहे।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १०/०१/२०२०)