…..हा हा दो पैरों वाले सभी .आवारा पशु
कैसा समाज ये कैसी शिक्षा, कौन बनेगा तारणहार
कुर्सी पर भी बैठी नारी , कैसे हो सकती अत्याचारी
एक सिंहासन की खातिर , कैसे तुमने भेंट चड़ा दी
क्या तुम्हें माफ़ कर पायेंगे, तुमको जिन्दा जलाएंगे
खुद को ही नंगा करती , दिखता चाहे औरों का तन
तुम स्त्री हो या क्या हो ? दिखता स्त्री तुम्हारा तन
क्या दुर्गा कह पाएंगे, महिषासुर वध को करवाएंगे
धर्म तुम्हारा नारी शक्ति , तुमने राक्षस पाले हैं
तुमने दलाली की भाषा के , कैसे भेद ये पालें हैं
आमार बांग्ला सोनार बांग्ला फिर से कब ये गायंगे
ये साजिश जिसमें तुम शामिल, वो नहीं तुम भी हो कातिल
मिली विदेशी शक्तियों से तुम, हत्यारिन बन गई हो नागिन
किया जो सौदा तुमने संस्कृति का माफ़ न हम कर पायेंगे
जागो सिंह शावको तुम जागो , धर्म संस्कृति को पहचानो
जागो आदि शक्ति तुम जागो, अपनी शक्ति को पहचानो
शंखनाद कर दो नव चेतना का जल थल नभ सब थर्राएंगे
इन पशुओं को पुरुष विहीन करो हो ये दंड विधानों में
पशुओं को भी निर्लज्ज करें काटो शीश संविधानों में
काँपे रूह बलात शब्द से हुंकार यही शक्ति संधानों में
पीकर हलाहल तुम शिव का, तांडव अब हो जाने दो
दुष्ट संहार अनिवार्य हो चुका , रण चंडी को आने दो
आओ आवाहन मेरा ये निर्णय अनिवार्य तो करवाएंगे
कोलकाता डॉ। मोमिता को समर्पित