Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2024 · 1 min read

हाहाकार

भीष्म से तो हम नहीं, पाया विदुर उपाय
जब भारी उपकार हो, सभा छोड़ के जाय ||

सर झुकाय बैठे रहे , आज उन्हें धिक्कार
भरी सभी में द्रौपदी, करती रही गुहार ||

भूलें महाभारत की , बनी शूल आधार
चरित्र हीन पुरुष हुए , फैलाया व्यभिचार ||

धन लोलुप ये जग हुआ, भूल गया सब ज्ञान
संत साधना ढोंग से, धर्म हुआ बदनाम ||

जल रहा ये समाज है , दिखे तिमिर साम्राज
प्रबल धन आसक्ति भई , ज्ञानी है धनराज ||

थोथा बेटी दिवस है , सुत निरंकुश तुहार
गिद्ध दृष्टि बेटी पड़े, होती हाहाकार ||

Language: Hindi
9 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all
You may also like:
हँसते गाते हुए
हँसते गाते हुए
Shweta Soni
गिल्ट
गिल्ट
आकांक्षा राय
आया पर्व पुनीत....
आया पर्व पुनीत....
डॉ.सीमा अग्रवाल
"इसलिए जंग जरूरी है"
Dr. Kishan tandon kranti
*गठरी धन की फेंक मुसाफिर, चलने की तैयारी है 【हिंदी गजल/गीतिक
*गठरी धन की फेंक मुसाफिर, चलने की तैयारी है 【हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
हमारी दुआ है , आगामी नववर्ष में आपके लिए ..
हमारी दुआ है , आगामी नववर्ष में आपके लिए ..
Vivek Mishra
सड़क जो हाइवे बन गया
सड़क जो हाइवे बन गया
आर एस आघात
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
Bhupendra Rawat
आज कल ट्रेंड है रिश्ते बनने और छुटने का
आज कल ट्रेंड है रिश्ते बनने और छुटने का
पूर्वार्थ
अच्छे नहीं है लोग ऐसे जो
अच्छे नहीं है लोग ऐसे जो
gurudeenverma198
गुज़ारिश आसमां से है
गुज़ारिश आसमां से है
Sangeeta Beniwal
मैं भी कवि
मैं भी कवि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
आपस की गलतफहमियों को काटते चलो।
आपस की गलतफहमियों को काटते चलो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
Mukesh Kumar Sonkar
पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
Ajit Kumar "Karn"
बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
Ashwini sharma
कुछ खास रिश्ते खास समय में परखे जाते है
कुछ खास रिश्ते खास समय में परखे जाते है
Ranjeet kumar patre
छोटी सी जिंदगी
छोटी सी जिंदगी
Surinder blackpen
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
🍁तेरे मेरे सन्देश- 8🍁
🍁तेरे मेरे सन्देश- 8🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
Lokesh Sharma
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
4356.*पूर्णिका*
4356.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा मुक्तक
दोहा मुक्तक
sushil sarna
इस उरुज़ का अपना भी एक सवाल है ।
इस उरुज़ का अपना भी एक सवाल है ।
Phool gufran
..
..
*प्रणय प्रभात*
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
गुरु पूर्णिमा पर ....!!!
Kanchan Khanna
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
डी. के. निवातिया
Loading...