हास्य
पति बैठा कविता लिखने तो
पत्नी बोली सुनो ज़नाब!
काहे बैठे सोच में
कुछ तो कर लो काम
ऐसे बैठे खाली खाने से
नहीं चलेगा काम।
रोज सुबह से रात तलक
बस तुमको एक ही काम
कविता लिखना और सुनाना
चाहे निकले श्रोता के प्राण।
घर के कितने काम पड़े हैं
राशन और सब्जी लाने हैं
कविता के चक्कर मे पड़कर
भूल गए हो सब सामान।
बच्चों के स्कूल खुल गए
बस्ता कापी और किताब
जाने कितने करने इंतजाम।
अब तो थोड़ा समझो नाथ
नहीं चलेगा ऐसे काम।।
पति बोला सुनो भार्या,
दुनियाभर की दौड़ भाग अब
करने की क्या है बात
अभी अमेज़न-फ्लिपकार्ट से
बुक करता हूँ सब सामान
व्यर्थ बहुत हैरान हो रही
घर बैठे ही लो सामान
होम डिलीवरी का है काल
घर बैठे ही सब होंगे काम।