हास्य के पात्र यह पप्पू की सेना ।
अधकचरे ज्ञान से क्यों ,
बनते हो तुम हास्य के पात्र।
शासन करने की इच्छा तो रखते हो ,
पहले बनो तो इसके सुपात्र ।
देश के इतिहास ,सभ्यता ,संस्कृति ,
और उसके चिन्हों का ज्ञान नहीं ।
बस ! आलोचना करने की बुरी आदत है ,
इसके सिवा तुम्हें कुछ आता नही ।
शासन करने के लायक तो तुम हो नहीं,
हां! तुम हो केवल कॉमेडी सर्कस के ही सुपात्र ।