हास्य कविता
नाम बाद में रख लेंगे
कानों में मिश्री सी घोली
मॉडर्न पत्नी पति से बोली
कहो आज क्या तुमको खाना
श्रीमान जी मुझे बताना
झटपट किचन में जाऊंगी
जो बोलो सो लाऊंगी
खिचड़ी या की पुलाव कहो
नहीं व्यर्थ में भूख सहो
पतिदेव पहले मुस्काए
फिर धीरे से यह बतलाए
ध्यान समूचा काम पै धर
नहीं नाम की चिंता कर
प्रेम दिखाया आज घना
जो मन आए उसे बना
पहले उसको चख लेंगे
नाम बाद में रख लेंगे।
डॉ विवेक सक्सेना, नरसिंहपुर