गर सोचो …….. !!
गर सोचो कि जीवन एक चक्र है,
तो इसमें ही सभी समस्याओं का हल है ।
सासु भी करें ठिठोली बहुओं की तरहाँ
तब बहुएँ बेफिक्र होएँगी बेटियों की तरहाँ ।
बेटियों को गर मिला सम्मान ननदों की तरहाँ,
तब ननदें भी मुसकुराएँगी, भाभियों की तरहाँ ।
अगर आप समझ गए इस बात पहेली की तरहाँ,
तो मुझे आपकी बुद्धि पर, न कोई अब शक है…………..
गर सोचो कि जीवन एक चक्र है,
तो इसमें ही सभी समस्याओं का हल है ।
घर की महाभारत में न रहेगा कौरव और पांडव,
सास-बहू का घर में न होगा फिर कोई तांडव ।
ससुर जी और पतिदेव का, न कोई फिर रोल होगा,
मज़े से कटेगी ज़िंदगी उनकी, उसमें न फिर कोई झोल होगा ।
अगर आप सहमत है मेरी इस बात पर ……
तभी मेरी इस कविता का कोई निष्कर्ष है ……..
गर सोचो कि जीवन एक चक्र है,
तो इसमें ही सभी समस्याओं का हल है ।