हाल शिकस्ता होता है।
कुछ भी एक सा ना होता है।
कभी अच्छा तो कभी बुरा होता है।।
बडी देर से आवाज आ रही है।
जाकर देखो बच्चा क्यों रोता है।।
कहीं ना कहीं सबका मुकाम होता है।
बिन घोंसले का परिंदा ना होता है।।
आकीद ना करना उसकी बात का।
बुरा इन्सान सच्चा ना होता है।।
यह जिदंगी है ऐसा ही होता है।
कभी ना कभी हाल शिकस्ता होता है।।
कभी कभी नूरे नज़र खुदा दे देता है।
हर अंधेरा अंधा ना होता है।।
उसके बातों में कही मत फंस जाना।
ज्यादा बोलने वाला शातिर पक्का होता है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ