हाल मेरा गरीब
हाल मेरा गरीब (ग़ज़ल)
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वो बहुत खुशनसीब है,
जो हृदय के करीब है।
सामना कर सके न हम,
देखता वह अजीब है।
जिंदगी आज ख़ास है,
खुल गया ही नसीब है।
मदमस्त मंद चाल है,
नार मोहिल हबीब है,
प्यार सीरत मिला नहीं,
हाल मेरा ग़रीब है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)