हाल मियां।
हाल मियां।
-आचार्य रामानंद मंडल।
मधुवन गांव मे तलेवर राय आ भोला मियां निक किसान रहलन।दूंनू दस -दस बिघा के जोतनिया। दूनू गोरे के ट्रैक्टर।दूनू गोरे के दोस्तीयो रहे।
तलेवर राय के दूगो बेटा फुलेश्वर आ पुनेश्वर रहय त भोला मियां के एगो बेटी सलिमा आ एगो बेटा अमजद रहय।
सलिमा आ फुलेश्वर गांव के इस्कूल मे पढै। चूंकि दूनू के बाप के दोस्ती रहय।एकर प्रभाव भेल कि दूनू में खूब अपनापन रहे।दूनू पढे मेयो तेज रहय। दूनू आठवां पास कैलक त इस्कूल अपग्रेड होके+२माने कि उच्चतर माध्यमिक भे गेल।क्लास बढैत गेल,उमर बढैत गेल त अपनापनो प्यार मे बदलैत गेल।
दूनू इंटर पास क गेल।दूनू सुरसर डिग्री कालेज मे एडमिशन लेलक।आब त दूनू के प्यार परवान चढे लागल।दूनू बीए पास क गेल।सलिमा आबि घरे पर रहे लागल।
फूलेश्वर प्रतियोगिता परीक्षा पास क के राजस्व अधिकारी बन गेल। फूलेश्वर आ सलिमा के बराबर मोबाइल पर बातो होइत रहय।
एकटा दिन सलिमा कौल कैलक।हेलो।
फूलेश्वर मोबाइल उठैलक आ बोलल -हेलो।सलिमा।
सलिमा -फूलेश्वर।कि हाल चाल हय।
फूलेश्वर -आइ कालि बड बीजी छी।
सलिमा-केहन बीजी।
फूलेश्वर -आइ कालि जातीय जनगणना में बीजी छी।
हर रोज सांझ ६से७बजे के बीच डीएम साहब के संग विडियो कॉन्फ्रेंसिंग होइ हय।आ ओइमे दिनभर के रिपोर्ट देबे के होइ हय।
सलिमा -त खाली बीजीए रहै छा कि हमहूं याद अबैय छियो कि न!
फूलेश्वर -हं।सलिमा।जौ काज से फूर्सत मिलय।त तू याद अबैय छा।
सलिमा -हम त राति दिन तोरे प्यार मे डुबल रहय छी।
फूलेश्वर -सलिमा।याद त करा लेकिन प्यार न करा।
सलिमा -काहे।
फूलेश्वर -आबि तोहर निकाह होतो।अपना शौहर (पति)के प्यार करिहा।
सलिमा -हम त अपन शौहर तोरा के मानै छियो।आ तोहरे शौहर बनिबौ।
फूलेश्वर -इ केना होतैय।
सलिमा -इ बड आसान हय आ बड़ा कठिनो।
फूलेश्वर -केना।
सलिमा -हम्मर धर्म इस्लाम अपना लेवा त बड आसान।जौ न मानबा त कठिन।
फूलेश्वर -हम्मर परिवार त न मानतौ।
सलिमा -परंतु हमर परिवार त आसानी से मान लेतौ जौं तू इस्लाम धर्म अपना लेवा।न मानबा त कठिन हो जतौ।
फूलेश्वर -सलिमा।हम तोरा प्रेम में इस्लाम धर्म अपना लेब। सुनले-पढले त छी जे बहुत लोग इस्लाम धर्म के लरकी से मुहब्बत आ बिआह के लेल इस्लाम धर्म अपना लेलक।मुगलकाल मे त जमींदार आ छोट छोट राजा महाराजा आ शासन मे उच्च पद पाबे के लेल इस्लाम धर्म अपना लेल कै।सुफी फकीर के शिक्षा सेयो इस्लाम धर्म अपना लेल के।
अपने जिला के परसौनी के राजा मुसलमान हय जे पहिले हिंदू रहय।एगो मुसलमाननी लरकी के प्यार मे इस्लाम धर्म अपना के मुसलमान बन गेलेय।
सलिमा -एते कथा हम न जनय छियै।ऐते जनय छियै की कोनो इसलाम धर्म के अपनैतै त वोकर बिआह मुसलमान लरकी से हो सकैय हय।
फूलेश्वर -त हम तोरा से बिआह करे लेल इस्लाम धर्म अपनाबे के लेल तैयार छी।
सलिमा -त सात दिन के छुट्टी लेके घर आबा।
सलिमा -सब बात अप्पन अम्मा आ अब्बा के बतैलक।
अम्मा -अब्बा राजी भे गेल। अम्मा -अब्बा बोलल कि अपना धर्म मे त इ आम बात हय। लेकिन हम अप्पन दोस्त तलेवर के जरूर बताएब।इ न कि हम दगा देलियन हय।हम अपना धर्म के रीति रिवाज के बतैबै।
हम्मर दोस्त के धर्म मे दोसर धर्म के लरकी से बिआह कठिन हय।
आइ भोला मियां अप्पन दोस्त तलेवर राय के इंहा गेलन।
तलेवर राय -आउ दोस बैठू।कि बात हय।
भोला मियां – हम्मर बेटी सलिमा आ अंहा के बेटा फूलेश्वर एक दोसरा के प्रेम करैत हय आ दूनू बिआह करय चाहय हय। सलिमा हमरा सभ बात बतैलक हय। हम्मर परिवार त राजी हय। हमरा सभ मे त केवल दूध बारल जाइ हय।दोसर धर्म के लरकी आ लरका हम्मर धर्म इस्लाम अपना लेतेय त विआह मे कोनो अड़चन न हय। अंहा के त धर्म मे दिक्कत हय। अंहा हम्मर दोस छी। अंहा के सभ बात के जानकारी देनाइ हम्मर फर्ज हय।
तलेवर राय -हम कि कहु दोस।हम त आवाक छी।आबि फूलेश्वर पदाधिकारी हय। कानून के जानकार हय। हमहूं बूझैय छी कि कोई व्यक्ति कोई धर्म अपना सकैय हय।हमहू कोनो विवाद न करैय चाही छी।जे बात से बतंगर हो जाय।
भोला मियां -त चलैय छी।बिआह के सर्वजान करै के हय।
फूलेश्वर सात दिन के छुट्टी लेके सलिमा के घर आ गेल।
आइ भोला मियां अपना घर पर मिलाद के आयोजन कैलक।मोलवी साहब फूलेश्वर के कलमा पढैलक। फूलेश्वर के नाम फूलचन मियां राखल गेल।एगो मियां -बीबी जे सलिमा के फूफा -फूफी रहय। फूलचन मियां के अब्बा -अम्मी बनके गवाह बन लन आ सलिमा के अब्बा -अम्मी गवाह बनलन। सलिमा आ फूलचन मियां एक दोसर के कबूल कैलन।
फूलचन मियां के मुसलमान हज्जाम सुन्नत कैलक।
गांव के सभ लोग फूलेश्वर के हाल मियां फूलचन कहय लागल।
सर्वाधिकार @रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।