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27 Oct 2021 · 1 min read

//…हाल-ए-दिल…//

//…हाल-ए-दिल…//

समाज की ,
कुछ बंदिशे
इश्क पर ,
छाती गर्दीशे…!

ना तुम मेरी ,
ना मैं तेरा
हम एक-दूसरे
के भी होके…!

तेरे पास से ,
गुजर कर भी ,
ना अपना ,
कुछ कहा
ना तेरा हाल ,
पूछ सके…!

मगर इतना तो ,
मालूम चले तुम्हें
हम रोए बहुत ,
तन्हा – तन्हा ,
चुपके – चुपके…!

चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव ( छ. ग.)

Language: Hindi
2 Likes · 214 Views
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