ये तो मुहब्बत में
हाले जख्मी दिल का, सुनाऊं कैसे.
मरते हुए आशिक को, रुलाऊं कैसे..
ये तो मुहब्बत में, मर रहा हैं तेरे सनम.
फिर भी कत्ल करने का, बोझ उठाऊं कैसे..
इस टूटे हुए दिल को, सजाऊं कैसे.
रूठे हुए सनम को, मनाऊं कैसे..
दिल में तो आज भी, धड़कते हो तुम .
भूलना तो चाहा, लेकिन भुलाऊं कैसे ..
मुहब्बत में हम तो, धोखा हैं खाये.
भूलना तो चाहा, कैसे भुलाये..
कोई तो बताये, हाले मुहब्बत .
टूटा हुआ दिल हैं, फिर भी मर न पाये..
अरमानों की डोरी टूटी, टूटी हैं अब आस.
जीने की तमन्ना मुझमें ना, ना मरने का प्रयास..
📝 19/10/2023
लोधी श्याम सिंह तेजपुरिया
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