हालात ज़िन्दगी के पल-पल बदल रहे हैं
हालात ज़िन्दगी के पल-पल बदल रहे हैं
मतलब है किसको किससे सब लोग चल रहे हैं
ये ज़िन्दगी सफ़र है सब लोग हैं मुसाफ़िर
रस्तों पे धुन में अपनी आगे निकल रहे हैं
आँखों में उनकी झांका था एक बार हमने
हम बेख़ुदी में अब तक करवट बदल रहे हैं
ये सोज़े-दिल की बातें तो सोज़ दिल ही जाने
जो अश्क़ हैं हमारे ग़ज़लों में ढल रहे हैं
इस क़द्र ज़ख़्म पाए कोई कसर न बाक़ी
यूँ टूटकर न बिखरें हम ख़ुद संभल रहे हैं
अन्दर हुआ भी क्या है बाहर से कौन समझे
बनकर के इक शरारा बरसों से जल रहे हैं
मौक़ा ज़रूर पाया पर कह न पाए दिल की
वो वक़्त जबसे गुज़रा हाथों को मल रहे हैं
कबके चले गये हैं वो अलविदा भी कहकर
आँखों में ख़्वाब कितने अब तक भी पल रहे हैं
पूरे कभी न होंगे ये जानते हैं हम भी
‘आनन्द’ दिल के अरमाँ अब तक मचल रहे हैं
शब्दार्थ:- सोज़=जलन/दाह/अथाह कष्ट/वेदना
– डॉ आनन्द किशोर