हालात मुश्किलों के हैं
ये जो हालात मुश्किलों के हैं
यही तो सुबूत मंजिलों के हैं
मेरी तन्हाई तो गुमनाम सी है
चर्चे तो तुम्हारी महफिलों के है
यही तो बुलंदी तक ले जाएंगे
ये जो पंख तुम्हारे हौंसलों के है
एक तरफ कुआं एक तरफ खाई
ये पल अब मुश्किल फैसलों के है
दोस्त बनकर वो दगा देंगे मुझे
कुछ ऐसे मंसूबे मेरे क़ातिलों के है