हालात पे रो न सके
हालात पे रो न सके
ताउम्र ही सो न सके
जो डूबे विरह में हम
फिर तुझको खो न सके
ये खेत रहा बन्जर
जी में वफ़ा बो न सके
ताउम्र रहा ये ग़म
तुम मेरे हो न सके
दूर रही गंगा जी
पाप कभी धो न सके
हालात पे रो न सके
ताउम्र ही सो न सके
जो डूबे विरह में हम
फिर तुझको खो न सके
ये खेत रहा बन्जर
जी में वफ़ा बो न सके
ताउम्र रहा ये ग़म
तुम मेरे हो न सके
दूर रही गंगा जी
पाप कभी धो न सके