Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Dec 2023 · 1 min read

हालातों का असर

कुदरत की रा’नाईओं का भी
असर होता है ,
तन्हा वीरानियों का भी
सफ़र होता ,

ख़िज़ाँ में सूखे पत्तों का भी
शजर होता है ,
बादलों में छुपा हुआ भी
मेहर होता है ,

रौशन फ़िशाँ का भी
आग़ाज़ -ए- सहर होता है,
गर्दिश-ए-दौराँ में बदला हुआ भी
शहर होता है,

दौलत और रसूख़ की ख़ातिर,
ज़मीर भी नज़र होता है ।

223 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

Revisiting the School Days
Revisiting the School Days
Deep Shikha
" रंगमंच "
Dr. Kishan tandon kranti
हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू
हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू
Vishnu Prasad 'panchotiya'
निराकार परब्रह्म
निराकार परब्रह्म
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
इतवार यूं मनाएं
इतवार यूं मनाएं
अरशद रसूल बदायूंनी
माथे की बिंदिया
माथे की बिंदिया
Pankaj Bindas
बारिश की हर बूँद पर ,
बारिश की हर बूँद पर ,
sushil sarna
किसी से भी कोई मतलब नहीं ना कोई वास्ता…….
किसी से भी कोई मतलब नहीं ना कोई वास्ता…….
shabina. Naaz
हार गए तो क्या हुआ?
हार गए तो क्या हुआ?
Praveen Bhardwaj
#शबाब हुस्न का#
#शबाब हुस्न का#
Madhavi Srivastava
इच्छाएं.......
इच्छाएं.......
पूर्वार्थ
2480.पूर्णिका
2480.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पिता
पिता
Nitesh Shah
कब तलक निहारा करे
कब तलक निहारा करे
रवि कुमार सैनी 'यावि'
दो घड़ी अयन फिर बच्चा हो गया
दो घड़ी अयन फिर बच्चा हो गया
Mahesh Tiwari 'Ayan'
गुनगुनी धूप
गुनगुनी धूप
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
जुनून
जुनून
Sunil Maheshwari
घडी के काटोंपर आज ,
घडी के काटोंपर आज ,
Manisha Wandhare
Stay grounded
Stay grounded
Bidyadhar Mantry
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
मनोज कर्ण
हमें पकड़ते नहीं
हमें पकड़ते नहीं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
Suryakant Dwivedi
बूढ़ा बरगद खिन्न है,कैसे करुँ मैं छाँह
बूढ़ा बरगद खिन्न है,कैसे करुँ मैं छाँह
RAMESH SHARMA
■ अंतर्कलह और अंतर्विरोध के साथ खुली बगगवत का लोकतांत्रिक सी
■ अंतर्कलह और अंतर्विरोध के साथ खुली बगगवत का लोकतांत्रिक सी
*प्रणय*
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
धर्म या धन्धा ?
धर्म या धन्धा ?
SURYA PRAKASH SHARMA
नए वर्ष की इस पावन बेला में
नए वर्ष की इस पावन बेला में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इतने बीमार हम नहीं होते ,
इतने बीमार हम नहीं होते ,
Dr fauzia Naseem shad
दरख़्त
दरख़्त
Dr.Archannaa Mishraa
रक्षा बंधन पर्व
रक्षा बंधन पर्व
Neeraj kumar Soni
Loading...