हालातों का असर
कुदरत की रा’नाईओं का भी
असर होता है ,
तन्हा वीरानियों का भी
सफ़र होता ,
ख़िज़ाँ में सूखे पत्तों का भी
शजर होता है ,
बादलों में छुपा हुआ भी
मेहर होता है ,
रौशन फ़िशाँ का भी
आग़ाज़ -ए- सहर होता है,
गर्दिश-ए-दौराँ में बदला हुआ भी
शहर होता है,
दौलत और रसूख़ की ख़ातिर,
ज़मीर भी नज़र होता है ।