” हार-जीत “
हार-जीत तो किस्मत के सिक्के का दो पहलू है।
तेरे जीवन के शतरंज का प्यादां और राजा तू है।
हर चाल तेरी तुझको तेरे मंजिल तक ले जाएगी।
कभी जीत तो कभी भयावह दर्दनाक हार लाएगी।
बैठेगा भाग्य पर निर्भर हो न कर्मा तू होगा प्यारे।
सोच विचार में न जाने कितने हैं व्यर्थ जीवन वारे।
सोच ले कि दिवस आज का अंतिम जीवन दिन है।
तेरे कर्म डगर का हर दिन मानो एक जनम दिन है।
हाथ तेरे लड़ना है लड़ आखिर तक कुछ आएगा।
जीत जाएगा अंतिम तक या वीरगति को पाएगा।
-शशि “मंजुलाहृदय”