#हार गए हम जीवनखेला
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★ #हार गए हम जीवनखेला ★
टूटे सपनों की छवियाँ ही
अंत में अपनी मीत हुई
हार गए हम जीवनखेला
जगतीमहती की जीत हुई
अभी खिली कलियाँ उरआंगन
अभी अभी परभात हुई
कैसा दिवस उजास का मारा
पहले पहर ही रात हुई
किलकारी कूकन से पहले
बंजारन पगली प्रीत हुई
हार गए हम जीवनखेला
जगतीमहती की जीत हुई
पलछिन घड़ियाँ बीत ही जावें
ना बीते जो घाव लगे
सो गई आसचिरैया दिन में
खो गए जो थे चाव जगे
पगपग मिले कटारों वाले
ढूंढे मिली न मीत सुई
हार गए हम जीवनखेला
जगतीमहती की जीत हुई
भाग्यहिंडोले गुमसुम बैठी
प्रीतपुजारन इक ललना
मिलनविछोह के छौनों बिन
सूना – सूना नेह – पलना
नैना अटके जियरा भटके
इस नगरी की रीत हुई
हार गए हम जीवनखेला
जगतीमहती की जीत हुई
बिना भूत की बोल कहानी
आनेवाला कल बिनमोल
हमरे बिन कैसा खेलतमाशा
बोल मदारी सचसच बोल
पोरपोर में पीर जगा दे
रहे न साध कोई अनछुई
हार गए हम जीवनखेला
जगतीमहती की जीत हुई
हार गए हम जीवनखेला . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२