हारता वो है
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/d11be5fd44340761d220f3cf74c0c8c8_62aa6f6376c76215ab367e21f72e9ed4_600.jpg)
हारता वो है,
जो शिकायत बार बार करता है।
और
जीतता वो है,
जो कोशिश हर बार करता है।
हारता वो है . . . . . .
फैसला तुमको करना है,
तुम्हें हार चाहिए या जीत।
इस जीवन में
तिरस्कार चाहिए या प्रित।
हार और जीत में,
बस थोड़ी सी अंतर होती है।
थोड़ी सी कोशिश,
और थोड़ी सी मन्तर होती है।
जीत के करीब,
पहुंच कर भी लोग हार जाते हैं।
सपने टूट कर,
पूरी तरह बिखर जाते हैं।
जीतने पर तो,
हुनर और भी निखार जाते हैं।
सारी दुनिया की खुशियां,
वो तो अपने कदमों में ही पाते हैं।
जीत और हार में,
एक कदम का अंतर होता है।
एक पल का अंतर होता है।
एक निर्णय का अंतर होता है।
प्रदर्शन का अंतर होता है।
हुनर का अंतर होता है।
फैसला तुमको करना है,
बेस्ट दोगे या श्रेष्ठ दोगे।
हारता वो है . . . . . .
नेताम आर सी