हाय वो बचपन कहाँ खो गया
ख्वाबों ख्यालों का जहाँ सो गया
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
ढूंढता हूँ बहुत मैं आज कोने कोने
नही मिल रहे मिट्टी के वो खिलौने
हर कोई वस अब तन्हाँ हो गया
हाय वो बचपन…………
कहाँ हैं आज बचकाना अठखेली
वो बचपन बना जैसे कोई पहेली
हर कोई बस अब तन्हाँ हो गया
हाय वो बचपन…………
कहीं भी नहीं दिखते पेड़ो पर झूले
वो मखमली अहसास कैसे हैं भूले
हर कोई बस अब तन्हाँ हो गया
हाय वो बचपन…………
बारिश देखते यूं सबका निकलना
कौन जानता है तितली पकड़ना
हर कोई बस अब तन्हाँ हो गया
हाय वो बचपन………..
‘V9द’ नहीं सजते हैं आज मेले
महफ़िल में भी दिल हैं यूँ अकेले
हर कोई बस अब तन्हाँ हो गया
हाय वो बचपन…………