“” *हाय रे….* *गर्मी* “”
“” हाय रे….
गर्मी “”
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हाय रे
रहा न जाए रे,
उफ़ ये गर्मी, जा रही है मुझे सताए !
अब, जाऊँ कहाँ रे
तू ही बता, ऐ मनवा रे
ले चल मुझको उस जहां में
जहाँ हो न बिल्कुल गर्मी तपन…….,
और बहे जहाँ ताजगी भरी ठंडी हवाएं !! 1 !!
हाय रे
किसे सुनाऊँ दुःखड़ा रे,
टपक-टपक पसीने से जा रहा नहाए !
अब, कोई तो बता दे
क्या है इसका हल रे
ले चल दूर मुझे, ऐ सखा,
यहाँ से सुदूर हिमगिरी वादियों में…..,
जहाँ सुकूँ से चलूँ, चैन की बंसी बजाए !! 2 !!
हाय रे
देखा ना सोचा रे,
रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, चले नए रिकॉर्ड बनाए !
अब, हुए फेल सारे
यहाँ पे एसी, कूलर, सिंफनी रे
ले चल प्रिय दूर यहाँ से,
किसी बर्फीले पहाड़ की चोटियों पे…..,
जहाँ चलूँ गाए गीत, झूमें मन को हर्षाए !! 3 !!
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सुनीलानंद
शनिवार,
25 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |