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28 Apr 2019 · 1 min read

हाय रे गरीबी

हाय रे गरीबी
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(१)
भूख में तरसता यह चोला,
कैसे बीतेगी ये जीवन।
पहनने के लिए नहीं है वस्त्र,
कैसे चलेगी ये जीवन।
(२)
किसने मुझे जन्म दिया,
किसने मुझे पाला है।
अनजान हूं इस दुनिया में,
बहुतों ने ठुकराया है।
(३)
मजबुर हूं भीख मांगना,
छोटी सी अभी बच्ची हूं।
सच कहूं बाबू जी,
खिली फूल की कच्ची हूं।
(४)
छोटी सी बहना को,
कहां कहां उसे घूमाऊं।
पैसे कुछ दे दे बाबू जी,
दो वक्त की रोटी तो पाऊं।
(५)
जीवन से थक हार चुकी,
कोई तो अपनाओ।
बेटी मुझे बना लो,
जीने की राह बताओ।
******************************
रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
‌812058782

Language: Hindi
1 Like · 184 Views
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