Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2018 · 1 min read

हाथ-क्षणिकाएं

क्षणिकाएं
हाथ/कर
1
कर से
कर काम
पा गए मुकाम
अजब संयोग
कर जोड़कर
भाग्य बांचते
कुछ लोग।
2
हाथों में हाथ लिए
चलता रहा
ताउम्र वही
छलता रहा
आज तन्हा
मैं
हाथ मलता हुआ।
-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
1 Like · 491 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गुमनाम राही
गुमनाम राही
AMRESH KUMAR VERMA
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
Sonam Puneet Dubey
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
3214.*पूर्णिका*
3214.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वो भी एक समय था जब...
वो भी एक समय था जब...
Ajit Kumar "Karn"
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"चाँद को देखकर"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
Neelam Sharma
तू इतनी चुप जो हो गई है,
तू इतनी चुप जो हो गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
*वह महासमर का नायक है, जो दुश्मन से टकराता है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
फलसफ़ा
फलसफ़ा
Atul "Krishn"
“कवि की कविता”
“कवि की कविता”
DrLakshman Jha Parimal
मैं मोहब्बत हूं
मैं मोहब्बत हूं
Ritu Asooja
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
!! पर्यावरण !!
!! पर्यावरण !!
Chunnu Lal Gupta
धूल-मिट्टी
धूल-मिट्टी
Lovi Mishra
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
Manju sagar
Nhà Cái Uy Tín Chuyên trang nhà cái tổng hợp cung cấp link t
Nhà Cái Uy Tín Chuyên trang nhà cái tổng hợp cung cấp link t
Nhà Cái Uy Tín
जब सिस्टम ही चोर हो गया
जब सिस्टम ही चोर हो गया
आकाश महेशपुरी
* हो जाओ तैयार *
* हो जाओ तैयार *
surenderpal vaidya
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आजमाइश
आजमाइश
Suraj Mehra
#आज_की_सार्थकता
#आज_की_सार्थकता
*प्रणय*
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
राधेश्याम "रागी"
कोई मिठाई तुम्हारे लिए नहीं बनी ..( हास्य व्यंग कविता )
कोई मिठाई तुम्हारे लिए नहीं बनी ..( हास्य व्यंग कविता )
ओनिका सेतिया 'अनु '
अपने वही तराने
अपने वही तराने
Suryakant Dwivedi
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
Dr Archana Gupta
Loading...