हाथों की मेंहदी चीख रही
ट्रेन दुर्घटना में मारे गए यात्रियों को अश्रूपूर्ण श्रद्धान्जली?—
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हाथों की मेहदी चीख रही,
बिना बाबुल कैसे विदा हो डोली।
बेघर मासुम की आँखें,
ढूंढे माता-पिता की बोली।
कौन खिलौने लाकर देगा,
अब कौन सुनायेगी लोरी।
माँ की ममता तड़प रही,
क्षण में सूनी हो गई गोदी।
किसी ने अपने सुहाग को खोया,
कोई माँ-बाप,भाई-बहन,बीबी।
इस भ्यानक हादसे ने
कितनों के घर की चुल्हा बुझा डाली।
हँसते-खेलते कितने ही घर,
एक पल में उजाड़ के रख डाली।
?????—लक्ष्मी सिंह