हाकिम तेरा ये अंदाज़ अच्छा नही है।
दोस्तों,
एक मौलिक ग़ज़ल.आपकी मुहब्बतों की नज़र,,!!।
ग़ज़ल
====
हाकिम तेरा ये आगाज़ अच्छा नही,
हां कहता हूँ तेरा ये राज़ अच्छा नही।
======================
आया है जब से तूँ सड़क पे है दहर,
देखा है तेरा कामकाज अच्छा नही।
======================
है शर्म जरा भी तुझे तो छोड़ दे सता,
है सच लगता तुझे ताज़ अच्छा नही।
======================
कुछ ठीक न हुआ आने से तेरे यहाँ,
अफसोस उनका आज अच्छा नही।
=====================
मैं लाऊंगा, मै दूंगा, मैं सब कर दूंगा,
मुख से तेरे मैं अल्फ़ाज़ अच्छा नही।
======================
तुम खुदगर्ज इतने भी होगें पता नही,
ये झूठ का ‘जैदि’अंदाज़ अच्छा नही।
======================
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”