हाइपरटेंशन
निग्रह बाबा एक ऐसा नाम जो अपने जमाने मे बहुत सम्मानित एव प्रेरणा स्रोत था ।
निग्रह एक गरीब ब्राह्मण परिवार का होनहार छात्र था घर परिवार वालो एव उसके नाते रिश्तेदारों को अपने होनहार के भविष्य कि उज्वल संभावनाएं देख कर आह्लादित था ।
वास्तव में निग्रह को ईश्वर ने गजब कि मेधा शक्ति प्रदान कर रखी थी उसके साथ के अन्य छात्र निग्रह
कि नकल करते उससे अपने पठन पाठन में सहयोग लेते विद्यालय प्रशासन भी अपने होनहार छात्र निग्रह पर बहुत अभिमानित रहता।
निग्रह ने विद्यालय का नाम हर प्रतियोगिता प्रतिस्पर्धा में रोशन किया था अक्सर निग्रह की चर्चा होती रहती ।
दोपहर कि चिलचिलाती धूप तरबूज का मौसम निग्रह अपने मित्रों के साथ विद्यालय से बाहर निकला मित्रों ने उससे तरबूज खरीदने के लिये रुकने के लिए कहा और सब तरबूज के ठेले के पास रुक गए ।
तरबूज वाले के पास मुश्किल से सात आठ लोग ही तरबूज के लिए खड़े थे बारी बारी से वह सबको तरबूज दे ही रहा था इस बीच निग्रह ने भी अपने एव दोस्तो के लिए तरबूज मांगा ।
गरीब तरबूज वाला बोला मॉलिक कुछ देर रुके मैं आप सबको तरबूज देता हूँ धूप बहुत तेज थी निग्रह के मित्रों ने निग्रह से कहा क्या बात है निग्रह कॉलेज के सामने खड़ा तरबूज वाला तुम्हारी बात नही सुन रहा है जबकि कॉलेज में प्रिंसिपल साहब भी तुम्हे सबसे अधिक तवज्जो देते है।
निग्रह ने कुछ देर तक अपने मित्रों की बात को अनसुनी करता रहा लेकिन उसके मित्र उंसे चढ़ाते रहे कभी कालेज में उसकी प्रतिष्ठा का वास्ता देकर कभी उसकी तमाम सफलताओ के सम्मान के लिए मात्र दस से पंद्रह ही मिनट में निग्रह को उसके साथियों ने इतना बढ़ा चढ़ा कर इतना उत्तेजित कर दिया कि उसने क्रोधित होकर तरबूज वाले से कहा कि तरबूज देते हो कि नही और उसने अपने एक हाथ मे ठेले पर पड़े तरबूज काटने वाले एक बड़े छुरे को उठा लिया तरबूज वाला बेफिक्र दूसरे छुरे से तरबूज काट ही रहा था तब तक निग्रह इतना उत्तेजित हो गया कि हाथ मे लिए छुरे को उसने गरीब तरबूज वाले के पेट मे घुसेड़ दिया और नीचे से ऊपर तक छुरे को घुमा दिया ।
कुछ देर पहले तक तरबूज काटता गरीब तरबूज वाला खुद तरबूज कि तरह कटा तड़फड़ाता दम तोड़ दिया निग्रह के दोस्तो को वहाँ से भगते देर न लगी लेकिन निग्रह को जैसे सांप सूंघ गया हो वह एक पेशेवर अपराधी तो था नही कुछ ही देर में मौके पर पुलिस पंहुची और निग्रह के कब्जे से चाकू के साथ उसे हिरासत में ले लिया ।
निग्रह के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी बहुत जल्दी ही पूरी हो गयी उसके पुराने रिकार्ड एव तरबूज वाले के परिवार के अनुरोध पर सजा से माफी मिल गई लेकिन निग्रह विक्षिप्त होकर गली मोहल्ले चौराहे यही कहता है उत्तेजना का मैं निग्रह हूँ जो कभी उग्रह नही हो सकता मरने से पहले।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उतर प्रदेश।।