हाइकु -3 | मोहित नेगी मुंतज़िर
चिड़िया बोली
देवों ने सूरज की
खिड़की खोली।
गंगा का जल
तेरा है प्रियतम
मन निश्छल।
क़ैदी जीवन
समाज से है बंधा
ताज़ा योवन।
आँख का तारा
ले गया वृद्धाश्रम
पापा का प्यारा।
आया सावन
ईश्वर की सौगात
बूँदें पावन।
चिड़िया बोली
देवों ने सूरज की
खिड़की खोली।
गंगा का जल
तेरा है प्रियतम
मन निश्छल।
क़ैदी जीवन
समाज से है बंधा
ताज़ा योवन।
आँख का तारा
ले गया वृद्धाश्रम
पापा का प्यारा।
आया सावन
ईश्वर की सौगात
बूँदें पावन।