Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2017 · 3 min read

हाइकु वाटिका की समीक्षा

हाइकु वाटिका [साझा हाइकु संग्रह] संपादक – प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
प्रकाशक :    माण्डवी प्रकाशन, गाजियावाद (उ.प्र.)
प्रकाशन वर्ष : फरवरी 2004      मूल्य : 100/—-
_________________________________________
               समीक्षक : — डाॅ. भगवत शरण अग्रवाल
                        सम्पादक : हाइकु भारती

     हाइकु वाटिका :  हिन्दी हाइकु के बढ़ते चरण
     ———————————————————–
                हिन्दी काव्य क्षेत्र में पिछले 05,06 वर्षों में हाइकु – विधा का विकास जिस तीव्रता से हुआ है, उसे देख कर मुझे आश्चर्यमिश्रित आनंद का अनुभव हो रहा है । यह और बात है कि शुद्ध-हाइकु कम और हाइकु छंद अधिक लिखे जा रहे हैं । किन्तु हाइकु छंद लिखने वाले समर्थ कवि कभी न कभी, कुछ न कुछ शुद्ध हाइकुओं की रचना भी करेंगे, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है ।
               अपार हर्ष की बात है कि हिन्दी के अनेक समर्थ कवि इस विधा की ओर आकर्षित हुए हैं । हाइकु लेखन के इस संक्रांतिकाल में हाइकु रचनाओं का प्रकाशन कर हाइकुकारों को प्रोत्साहन तथा नव हाइकुकारों दिशानिर्देशन देने का प्रयास, मैं हाइकु-भारती पत्रिका के माध्यम से किया है, किन्तु वह काफी नहीं है । 
               हाइकु का एक छंद के रूप में स्वीकार कर,  अनेक हाइकुकारों ने हाइकु छंद में प्रबंध काव्य , गीत, भँवरगीत, गजल, मुक्तकादि की सुंदर रचनाएँ भी की हैं और फिर संक्रातिकाल में सभी रचनाओं से, विधा के सभी लक्षणों की पूर्ति की अपेक्षा भी नहीं रखनी चाहिए । अभी हाइकु विधा को अनेक यज्ञ की ज्वालाओं में तप कर निखरना बाकी है, और इस प्रयास में उठाये गये प्रत्येक कदम का हमें स्वागत करते हुए सराहना करनी चाहिए । साँकरा जैसे एक कस्बे से श्री प्रदीप कुमार दाश “दीपक” जो स्वयं भी एक सुंदर हाइकुकार हैं, के द्वारा “हाइकु वाटिका” का प्रकाशन उसी लक्ष्य की ओर बढ़ता एक कदम है और मैं इसका हार्दिक स्वागत करने का प्रस्ताव आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ ।
               प्रस्तुत ग्रंथ के प्रारंभ में उन्होंने अकारादि क्रम में 54 हाइकुकारों का सचित्र परिचय तथा प्रश्नोत्तरी के माध्यम से हाइकु संबंधी उनके कुछ विचारों का परिचय देने के पश्चात प्रथम खंड में उनके चुने हुए कुछ हाइकु दिए हैं । दूसरे खंड में 68 हाइकुकारों की रचनाएँ संकलित की हैं और तृतीय खंड में अन्य 249 हाइकुकारों की रचनाएँ हैं । इस चयन का आधार वरिष्ठता के आधार पर न हो कर, सामग्री की उपलब्धता के आधार पर किया गया लगता है । मैं इस तथ्य का साक्षी हूँ कि प्रदीप कुमार जी ने सामग्री प्राप्त करने के लिए पत्रिकाओं के माध्यम से अनुरोध किये, व्यक्तिगत संपर्क किये और तब भी कुछ हाइकुकारों ने अपनी व्यस्तता, अस्वस्थता अथवा आलस्य के कारण सामग्री न भेज पाने के परिणाम स्वरूप कुछ महत्वपूर्ण हाइकुकार प्रथम खंड के स्थान पर दूसरे अथवा तीसरे खंड में आ गये हैं । इतने सारे हाइकुकारों के नाम, पते, रचनाएँ इकट्ठा करना कम श्रमसाध्य कार्य नहीं है । इसके लिए संपादक श्री प्रदीप कुमार जी ने विभिन्न पत्रिकाओं, संकलनों आदि से भी सामग्री एकत्र की है । फिर भी इसमें कोई संदेह नहीं कि अब तक के प्रकाशित सभी संकलनों से अधिक हाइकुकारों का संकलन “हाइकु वाटिका” बन गया है ।
               इसमें कोई संदेह नहीं कि हिन्दी हाइकु-जगत में इस संकलन का हार्दिक स्वागत होगा और हिन्दी हाइकु के बढ़ते चरणों को गतिशील करने में प्रदीप कुमार दाश “दीपक” का यह प्रदान महत्वपूर्ण सिद्ध होगा ।
                  — डाॅ. भगवत शरण अग्रवाल
                      सम्पादक : हाइकु भारती
           396, सरस्वती नगर, अहमदाबाद – 380015
_________________________________________

Language: Hindi
508 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
There are opportunities that come and go, like the trains on
There are opportunities that come and go, like the trains on
पूर्वार्थ
आप अभी बाहर जी रहे हैं, असली हीरा अंदर है ना की बाहर, बाहर त
आप अभी बाहर जी रहे हैं, असली हीरा अंदर है ना की बाहर, बाहर त
Ravikesh Jha
दहलीज के पार 🌷🙏
दहलीज के पार 🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रतन टाटा जी..!!
रतन टाटा जी..!!
पंकज परिंदा
यदि आपके पास रुपए ( धन ) है, तो आपका हरेक दिन दशहरा, दिवाली
यदि आपके पास रुपए ( धन ) है, तो आपका हरेक दिन दशहरा, दिवाली
Rj Anand Prajapati
गूॅंज
गूॅंज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
तुम कितने प्यारे हो
तुम कितने प्यारे हो
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)
बॉस की पत्नी की पुस्तक की समीक्षा (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
"गुणनफल का ज्ञान"
Dr. Kishan tandon kranti
राममय दोहे
राममय दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पेपर लीक हो रहे ऐसे
पेपर लीक हो रहे ऐसे
Dhirendra Singh
हम कहां थे कहां चले आए।
हम कहां थे कहां चले आए।
जय लगन कुमार हैप्पी
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
वर्षों पहले लिखी चार पंक्तियां
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी में बहुत कुछ सीखा है...
ज़िंदगी में बहुत कुछ सीखा है...
Ajit Kumar "Karn"
मन साधना
मन साधना
Dr.Pratibha Prakash
ऑफ्टर रिटायरमेंट
ऑफ्टर रिटायरमेंट
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहा
जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहा
*प्रणय*
रुसवा हुए हम सदा उसकी गलियों में,
रुसवा हुए हम सदा उसकी गलियों में,
Vaishaligoel
!.........!
!.........!
शेखर सिंह
रस का सम्बन्ध विचार से
रस का सम्बन्ध विचार से
कवि रमेशराज
* नदी की धार *
* नदी की धार *
surenderpal vaidya
A Hopeless Romantic
A Hopeless Romantic
Vedha Singh
गीत
गीत
Shweta Soni
चाँद तो चाँद रहेगा
चाँद तो चाँद रहेगा
shabina. Naaz
सुबह हर दिन ही आता है,
सुबह हर दिन ही आता है,
DrLakshman Jha Parimal
मैं निकल गया तेरी महफिल से
मैं निकल गया तेरी महफिल से
VINOD CHAUHAN
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
इल्म
इल्म
Bodhisatva kastooriya
मशाल
मशाल
नेताम आर सी
Loading...