हाइकु- “बरसात में”
हाइकु -“बरसात”
1
बादल छाते,
बरसात आते ही।
सब हर्साते।।
2
बरसात में,
नाले,नदियां झूमे।
मयूर नाचे।।
3
पावस बूंदें,
अमृत सी लगती।
बरसात में।।
4
बरसात तो
जीवनदायिनी है।
हरे जंगल।।
5
ये बरसात
रखती है सुरक्षित।
पर्यावरण।।
6
नदी सा बनो,
मत बनो सागर।
खारा है जल।।
7
पवित्र नदी,
अब गंदगी ढोती।
आत्मा है रोती।।
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राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष- म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष- वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
संयोजक-अ.भा.बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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