हाइकु नारी ,
हाइकु
नारी ,स्त्री है
कुदरती रचना
सौंदर्य मूर्ति
पुरुष की है
अर्धगाह्नि वसना
प्रेमीतुल्यनी
लगाती ऐसी
माथे पर सिंदूर
तुल्य रंजनी
दुष्टों का नाश
झांसी की रानी बनी
है वीरांगनी ।
प्रेम रसिया
कृष्ण की दुलारी है
मीराबाईनी।
चितौड़गढ़
यह जोहर बना
पद्मावतीनी।
✍पी एस ताल