हाइकु : गर्मी/ग्रीष्म/लू/धूप/तपन/घाम
प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
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गर्मी/ग्रीष्म कालीन हाइकु
01. करारी धूप
कड़कने लगी है
री! गर्मी आई ।
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02. धूप से धरा
दरकने लगी है
बढ़ी जो ताप ।
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03. गर्मी प्रखर
खिला गुलमोहर
प्रेम असर ।
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04. धूप की आँच
देता अमलतास
पंथी को छाँह ।
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05. मन गुलाब
झुलसती धूप ने
जलाये ख़्वाब ।
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06. रवि धधका
धूप में तप कर
झुलसी धरा ।
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07. सूर्य की आग
ग्रीष्म की प्रखरता
बढ़े संताप ।
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08. जेठ-बैशाख
जल की पूजा करें
शीतल ख़्वाब ।
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09. जल मधुर
गर्मी में तरबूज
शीतल कूप ।
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10. लू की तपन
झुलस रही धरा
चाह सावन ।
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□ -प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो.नं. 7828104111