हां वो तुम हो…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
तुम मेरे जीवन की
जीवन सागर हो,
प्रेम रस की
वह गागर हो,
जंहा है मेरे लिए
अलौकिक प्रेम।
विशालकाय पहाड़ की तरह
मेरे लिए ठोस इरादे,
झरनों की तरह
सुखद एहसास,
तव्बसुम की तरह
मन की एक एक बात।
चांद की तरह
जीवन का विश्वास,
नदी की धारा की तरह
जीवन की राह।
मेरे जीवन की
पहली और आखिरी,
प्यास तुम हो।
जंहा मेरा जीवन है
एक सुन्दर आधार
जिसे मैं करता हूं,
अपने से अधिक प्यार
हां वो तुम हो।
09 वर्ष पहले के शब्द