हां यही सरकार है
आदमी लाचार है
चल रही सरकार है
नाट्यशाला का मुखर
सिरफिरा किरदार है
भक्त है वो देश का
दूसरा गद्दार है
बात कुछ होगी सुनो
बोलता दमदार है
संत हैं वो सब के सब
और सब बेकार है
आजकल मंदा नही
तेज कारोबार है
सातवां वेतन है या
गुप्त इक तलवार है
स्तब्ध है सारा जहां
ये कौन सी सरकार है
हम समझ पाये नही
ये समझ के पार है