हां ! मै सुंदर हूं
बैठी थी मैं दर्पण के सामने ,
सोचा जरा श्रृंगार करूं ,
अपने सुंदरता को और निखार लूं ।
फिर मैंने सोचा क्या मैं सुंदर नहीं हूं ?
इन नशीली आंखों में काजल – सुरमा डालने से पहले ,
इन नाजुक होंठों को रंगों में रंगने से पहले ,
इन टमाटर जैसे गालों पर रंग पोतने से पहले ,
फिर मैंने सोचा क्या मैं सुंदर नहीं हूं ?
अपने स्कर्ट को छोटी करने से पहले ,
अपने कमर को दो इंच कम साइज़ के कपड़ों में कसने से पहले ,
दुपट्टे को कमर में बांधने से पहले ।
फिर मैंने सोचा क्या मैं सुंदर नहीं हूं ?
घंटों पार्लर में बैठकर शरीर के बालों को उखड़वाने से पहले ,
प्राकृतिक की देन को बिगाड़ने से पहले ,
काले – सुनहरे अपने बालों को रंगीन कराने से पहले ,
फिर मैंने सोचा क्या मैं सुंदर नहीं हूं ?
अपने रंग को गेंहुआ से दूधिया करने से पहले ,
घुंघरू कानों में लटकाने से पहले ,
अपने वास्तविक सौंदर्य को ख़त्म करने से पहले ।
मैंने खुद से कहां हां मैं सुंदर हूं !
ज्योति
(जब मैं पहली बार दीदी के साथ पार्लर उनके सगाई के लिए उनको तैयार कराने गयी – 23 नवम्बर 2012)
नई दिल्ली