हां मैं पारस हूं, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
तुम मुझे छुओ तो सही, मैं राजे दिल बताऊंगी
हां मैं पारस हूं तुम्हें, कंचन बनाऊंगी
थाम लो हाथों में मुझे, तुम्हें ऊपर उठाऊंगी
अब खोल भी लो, मेरे दिल के सफे
तुम्हारा जीवन,पुष्प सा महकाऊंगी
ज्ञान विज्ञान अध्यात्म, सारे राज तुम्हें बताऊंगी
जी हां मैं पुस्तक हूं, तुम्हारी हर जिज्ञासा मिटाउंगी
तुम्हें एक अच्छा, इंसान बनाऊंगी
तुम मुझे छुओ तो सही, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी