हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
फैसला ये होशोहवास से है, ये बेगैरत या बेबस नही है।।
कला के नामपर पैसों के खातिर, अश्लीलता बेचते है जो।
ये गुनहगार है हम सबके, आबरू देश की बेचते है जो।।
जय सियाराम