हां ख़ामोश तो हूं लेकिन………
हां ख़ामोश तो हूं लेकिन………
दिल में राज छिपाकर नहीं जीती
मुस्कुराती हूं सबके सामने बेझिझक
क्यूंकि में अपनी हंसी दबाकर नहीं जीती
जो ना कह सके अपना मुझे…………
उसको मै अपना बताकर नहीं जीती
सह लेती हूं हर दर्द खुद ही…………
क्यूंकि मै अपनों का दिल दुखाकर नहीं जीती
शक है उन्हें मेरे इरादों पर शायद अभी
पर मंजिल को भूल जाऊं
मै ऐसे डगमगा कर नहीं जीती…..
हार जाऊं हर जंग बेशक!
सिर उठा ही रहेगा तब भी..
हार के डर से मै कभी सर झुकाकर
नहीं जीती…
© Priya maithil