* हां कृष्ण कन्हैया हूं मैं *
हां कृष्ण कन्हैया हूं मैं अच्छा है आपने
मेरे मोहन का रूप तो देखा मुझमे
पर तुम क्यों कंस का रूप धरते हो
ईर्ष्या में परवश होकर नाहक जलते हो
यह बात सार्वभौम सत्य
ईश्वर मानव ह्रदय में बसते है
फिर। क्यों अपने हृद्यार्विन्द में
विराजमान ईश्वर को छलते हो
रहो प्रसन्नचित ले हास वदन पर
क्यों झूठा क्रंदन करते हो
वन्दन उस ईश्वर का कर लो
धरा पर धरा मानवरूप
कुछ तो अच्छे कर्म कर लो
कभी तो मुझ में ही
मोहन मुरलीधर के दरश कर लो
फिर ना रहेगा भेद मन में खेद
मोहन और मोहित में
बस करना हो तुम तो
केवल अपना करम कर लो
हां कृष्ण कन्हैया हूं मैं अच्छा है आपने
मेरे मोहन का रूप तो देखा मुझ में।।
?मधुप बैरागी