हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी,
वहीं सफेद सूट और कानों में बाली पहनती होगी
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।
बिखरी बिखरी जुल्फें, लाल लाल होंठ
हाथों में कभी कंगन ,कभी रंग-बिरंगी चुड़िया पहनती होंगी
मेरे लिए खूब सजती और संवरती होगी,
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।
चांदनी रातो में,खोई रहती होगी मेरी बातों में,
करवटें बदल बदल कर कभी जागतीं कभी सोती होगी,
मेरी याद में कभी हंसती तो कभी रोती होगी
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।
उससे मिलने उसके कालेज में मैं, जिन गलियों में उसे ढूंढता था,
उन गलियों को देखकर मेरी राह तकती होगी,
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।।
: राकेश देवडे़ बिरसावादी