हांफती जिंदगी आदमी बेखबर
न मंजिल मुकम्मल, न पता है मुकाम
हांफती जिंदगी, आदमी बेखबर
धन दौलत का कितना, चढ़ा है नशा
न अमन चैन है, न खुदा की खबर
न लाया कोई, न ले जाएगा
मौत का क्या पता, वक्त कब आएगा
जिंदगी का कर ले, सुकून से सफर
भूल बैठा हिदायत, शिकवा शिकायत रहे
नसीहतें नदारद, वादे न कायम रहे
आखरीयत की बंदे, करले फिकर