हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है – डी. के. निवातिया
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है !!
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हर वर्ष मनाते है हम बाल दिवस
हर वर्ष उनके नाम के झंडे सजाते है
दे नहीं सकते हम आश्रय किसी को
फिर भी दिखावे का स्वांग रचाते है
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है !!
पहुँच गए हम चाँद और अब तो मंगल पर भी
फिर भी अनाथ बच्चे सड़को पर नजर आते है
धो रहे होते है बरतन किसी के घर या होटल मैं
खाकर जूठन किसी का वो भूख प्यास मिटाते है
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है !!
दम भरते है हम दुनिया में शिक्षा हमारी है
करते है विदेशो में जाकर उनका उद्धार हम
फिर क्यों देश के बच्चे अभी तक अज्ञानी है
ऐसी क्या मज़बूरी है, जो पड़ी हम पे भारी है
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है !!
क्यों इस कदर हो गए हम राजनितिक
अपने मतलब से ही गुणगान करते है
हो गए अर्थहीन बापू नेहरू के सब सपने
देकर बड़े-2 भाषण मात्र दिखावा करते है
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है !!
सिहर उठता है बदन देख आज के हालात
जब सड़क किनारे कोई बच्चा नंगा रोता है
जब वो भूखा रोटी के लिए हाथ फैलता है
एक दौलत वाला उसको दुत्कार भगाता है
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है !!
आज क्या नही ? सब कुछ तो है हमारे पास
ये सिर्फ हम ही नही सारी दुनिया मानती है
दुनिया मैं हम अन्न, खान पान में अव्वल है
फिर भी मेरे देश के नन्हे सड़को पर जीवन बिताते है
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है !!
पाल सकते है हम शौक से,अपने घर कुत्ते बिल्ली
पर किसी अनाथ को पालना हमारे लिए भारी है
फ़ेंक सकते है भोजन को बासी कहकर कूड़ेदान मैं
पर किसी भूखे को खिलाना हमे क्यों लगे भारी है
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है – २ !!
अब जरुरत आन पड़ी देश की तस्वीर बदलना होगा
आओ मिलकर करे प्रयास हर बच्चे को हसाना होगा
कुपोषण, बालश्रम, अशिक्षा को जड़ से मिटाना होगा
जीत सके गर हम ये जंग,तब सारा जहाँ हमारा होगा !!
हर बच्चा खुद से बोल सके हर एक से मेरा नाता है
नहीं किसी से भेद भाव सब एक नल पानी पीते है
ये अपना भारत है जंहाँ राजा-रंक संग-संग जीते है
तब जाकर हम गर्व से हम कह सकेंगे ..!!!
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है – २ !!
हाँ हम ऐसे ही बाल दिवस मनाते है – २ !!
!! डी. के. निवातिया !!